Soil 2.O
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्योंकि
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले।
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