(1)My Diary:- मेरे अपने विचार

🙄मैं कौन हूं?
अगर कोई मुझसे कहे कि तुम कौन हो तो मैं कहूंगा कि मेरा नाम यह है वह है और यह करता हूं अगर मैं खुद से यह सवाल करूं तो मन में प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि मैं हूं क्या? मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं कौन हूं सबसे पहले मैं एक मनुष्य हूं,और मेरा धर्म मानव धर्म है और मैं ना तो नास्तिक हूं ना आस्तिक हूं मैं वास्तव में वास्तविक  हूं ,सच कहूं तो मुझे अब कई लोग राष्ट्रविरोधी,  धर्मविरोधी एकतरफा आदि शब्दों का प्रयोग करके बोलेंगे और मुझसे कहेंगे कि तू पापी है, तुझेे नर्क और स्वर्ग में जगह नहीं मिलेगी कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो मेरी बातों को सुनकर पागल की उपाधि देंगे क्योंकि पागल पागल को समझ सकता है मगर पागल समझदार को नहींं समझ सकता मैंं अपनी तारीफ नहीं कर रहा हूं मैं आपको  वास्तविकता से परिचित कराना चाहता हूं और ना मैं यह कह रहा हूं कि मैं दुनिया को बदल दूंगा  जनाब मैंं आपको सच्चाई बताना चाहूंगा कि यह प्रकृति का नियम है कि दुनिया को कोई महान या महात्मा बदल नहीं सकता है दुनिया को सिर्फ दुनिया बदल सकती है और हिंदुस्तान को सारे हिंदुस्तानी बदल सकते हैंंऔर आप खुद को बदल सकते हैं मेरे कहनेे का तर्क है कि एक के बदल जाने सेेेेे दुनिया नहीं बदलने वाली है दुनिया को अगर बदलना होता तो इतने महान व्यक्ति पैदा हुए अनेकोंं धर्मों में महान पुरुष आए उन्होंने दुनिया को बदलना चाहा मगर दुनिया बदल ना सकी हमारी पृथ्वी पर कई अप्रिय घटनाएं हैं जैसे चोरी हत्या बलात्कार आतंकवाद भ्रष्टाचार और ना जानेे कितनी सारी घटनाएं जिन्हें लोग पसंद नहींं करते लेकिन एक सवाल यदि हम यह सब घटनाएं पसंद नहींं करते हैं तो इन घटनाओं को अंजाम कौन देता है तो मैंं आपको बताना चाहता हूं मनुष्य के अंदर दो मानसिकता होती हैं 🅰️नकारात्मक  
🅱️सकारात्मक   
नकारात्मक मानसिकता और सकारात्मक मानसिकता ।
व्यक्ति के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं कुछ लोग अपनी अच्छाइयों से महात्मा बन जाते हैं कुछ लोग बुराइयों से दुष्ट आत्मा कहलाते हैंऔर उस्ताद आपको पता नहीं है कि अच्छाई बुराई एक दूसरे पर निर्भर है मतलब अगर कोई अच्छा है तो वह बुराइयों को दूर करने की वजह से अच्छा है मतलब अगर बुराई नहीं होती तो वह अच्छा नहीं बनता जैसे आग और धुआं आग जलती है तो धुआं निकलता है और धुआं किसी को पसंद नहीं होता तो फिर प्रकृति ने दूंगा क्यों बनाया क्योंकि दुनिया एक ही अच्छाई और बुराई से चलने वाली नहीं है दुनिया हमेशा नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच से चलती है हो सकता है आप मुझे या मेरी बातों को ना समझ पा रहे हो और मुझे गलत व्यक्ति की संज्ञा दे रहे हो तो मैं बता दूं आप मुझे गलत समझो या सही मगर दुनिया गलत या गलतियों के बिना चल भी नहीं सकती मान लो आप महान हो आप अच्छे कार्य कर रहे हो किसी आरोपी या दोषी को सजा दे रहे हो तो आप अच्छा महसूस करेंगे मगर दोस्ती तो अच्छा महसूस नहीं करेगा उस तो उसी की नजर में तो आप गलत ही होंगे मैं  मैं महान तोउसको ही मानूंगा जिसे कोई गलत ना समझे सब उसे महान माने मेरे कहने का तर्क यह है कि किसी एक समुदाय एक वर्ग का भला करने से आप उसके लिए महान कहला सकते हैं मगर विश्व में महान नहीं कह लाए जा सकते महान तो वही कहलाएगा कि जो बुराई और अच्छाई दूर कर सके ताकि आपको ना तो बुरा व्यक्ति कहे कि आप गलत हो और ना अच्छा व्यक्ति यह कहे कि आप गलत हो अगर आप महान बनना चाहते हो तो दोनों को सुनो और समझो और हां व्यक्ति कोई बुरा नहीं होता और ना ही अच्छा होता है यह तो मानव नहीं यह व्यक्ति अच्छा या बुरा की संज्ञा दी है अगर प्रकृति को प्रदूषण या बुराइयों या अन्य घटनाएं पसंद ना होती तो यह जरूरी नहीं होती तो प्रकृति यह सब का निर्माण क्यों करते फिर तो विश्व में सब कुछ अच्छा होता अच्छे लोग अच्छा पर्यावरण अच्छा सुख इत्यादि अरे जनाब धैर्य अगर सब कुछ अच्छा हो जाएगा तो हम सब तो महान बन जाएंगे जब महान बन जाएंगे तो रोटी खुद मुंह में आ जाएगी और सभी कार्य अपने आप बिना किसी मजदूर के हो जाएंगे क्योंकि अब हम सब महान हैं सब मजे से रहेंगे एक दम बिंदास क्या यह संभव है नहीं क्योंकि प्रकृति पर एकमात्र अच्छाई नहीं चल सकती इसलिए जो व्यक्ति जो कर रहा है उस करने दो उसे रोको मत बनना आप बुरा कहलाओगे बस आप उस व्यक्ति को समझो कि वह ऐसाक्यों कर रहा है और उसे समझाओ कि जो तू कर रहा है उसे उस लेवल तक कर जहां तक की प्रकृति चाहती है कोई भी चीज ज्यादा नहीं करनी चाहिए वरना उसे हद पार करना कहते हैं
 क्या आप जानते हैं हम क्यों अपने से अलग धर्म या वर्ग समुदाय आदि से जलते हैं हम क्यों दूसरों को गलत समझते हैं अपने आप को गलत क्यों नहीं समझते हैं
कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके उत्तर इस प्रकृति में राज हैं या कहे तो रहे हैं मैं आपको हर एक सवाल का जवाब नहीं दे सकता मगर जहां तक मुमकिन है वहां तक दे सकता हूं बस मैं यही कहना चाहूंगा कि दुनिया में कोई ना तो गलत है ना सही है यही सब से तो हमारी जीवन यात्रा चल रही है
मैं अपने जीवन को 2 सिद्धांतों पर आधारित मानता हूं पहला मैं ऐसे रहता हूं जैसा कि आज पृथ्वी पर मेरा आखिरी वक्त या दिन था ।
दूसरा मैं आज ऐसे जी रहा हूं जैसे मैं हमेशा के लिए जीने वाला हूं।
मुझसे कई महान लोग कहते हैं और कहेंगे कि तू क्या करना चाहता है
तो मैं आपको बता दूं मैं आपको बस दुखता दिखाना चाहता हूं इस पृथ्वी की मैं आपको विचारशील बनाना चाहता हूं मैं आपके अंदर से भूत प्रेत स्वर्ग नरक या भगवान का डर मिटाना चाहता हूं मैं चाहता हूं कि आप दूसरों की राय के अनुसार ना चलें आप अपने आप चले मनुष्य ने कई सारी अफवाहें फैला रखे हैं भगवान के नाम पर चलो माना आप के भगवान हैं तो आप भूत आत्मा से क्यों डरते हो आपको तो नीडर होना चाहिए ना।
मैं यह नहीं कह रहा हूं सब निडर बने थोड़ा सा डर होना भी चाहिए व्यक्ति के अंदर मगर व्यक्ति भी तो वास्तविक होना चाहिए।
मैं नहीं मानता कि पवित्र ग्रंथ या पवित्र बातें भगवान ने लिखी हैं हां मैं नहीं मानता कि गीता भगवान ने लिखी है मैं नहीं मानता अल्लाह ने कुरान लिखिए या बाइबल लिखी है अगर यह सब भगवान ने लिखा होता है यह भगवान के विचार होते तो इतने छोटे विचार न होते इतनी मोटी पवित्र ग्रंथ या वेदना होते अगर लिखा होता तो मात्र एक ही वाक्य में लिखा होता कि फला फला
किसी ने सच कहा है कि सच कड़वा होता है मगर सच कड़वा होने के साथ-साथ रोगी के रोग को मिटाने के लिए भी होता है
मेरा फिर एक सवाल है कि मित्रों जब यह कहते हैं कि भगवान एक है तो फिर यह भगवत गीता रामायण बाइबल कुरान इत्यादि अलग-अलग हैं क्यों क्या यह अलग-अलग भगवान के विचार हैं या भगवान के रूप में व्यक्ति ने अलग-अलग महजब बनाकर अलग-अलग परंपराएं दिए दुनिया क्यों नहीं समझती कि हम एक चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं कुछ लोगों की सोच की वजह से।
मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहता हूं मैं भी एक वही सोच रखता था आस्था वाली और मेरे अंदर डर भी था मैं डरता था भगवान से कि अगर मैंने एक लोटा दूध नहीं चढ़ाया या हाथ नहीं जोड़ें तो या अगरबत्ती ना जोड़ी तो या तिलक नहीं लगाया तो मुझे परमात्मा माफ नहीं करेंगे मुझे जान नहीं मिलेगा और भूतों से भी डरता था।
 अगर कोई भूत की बात करते तो मेरी रूह कांप जाती थी क्योंकि मुझे बचपन से डराया गया कि बेटा ऐसे ऐसे कर बनना ऐसा होगा मगर मैंने नहीं किया मैंने भगवान को और भूत प्रेत को खोजने की कोशिश की मैंने उन्हें मंदिर में ढूंढा ना मिले मैंने उन्हें मस्जिद में ढूंढा नाम ले मैंने हर एक उस जगह ढूंढा जहां जहां व्यक्ति यह दावा करता है कि यहां परमात्मा का निवास है और मैंने श्मशान में मरघट में खोजा शायद भूत या भगवान मिल जाए किसी रूप में चाहे राम के रूप में चाहे अल्लाह के रूप में या पैगंबर के रूप में चाहे ईसा मसीह के रूप में मगरकोई ना मिला फिर मैंने सोचा कि चलो भूत नहीं है तो भगवान तो होगा ही लेकिन कोई ना मिला फिर मैंने भूतों के ऊपर कुछ सोचा क्योंकि मैं अब विचारशील किशोर था मैंने विचार किया कि अब मैं वह सारे कार्य करूंगा जैसे व्यक्ति न करने की हिदायत देता है फिर मैंने कुछ वह कार्य किए जैसे भगवान का अपमान करना या शमशान में वह कार्य करना जो कार्य करने से लोग मना करते हैं मैं बताना नहीं चाहूंगा कि मैंने क्या-क्या किया क्योंकि फिर आप मुझे गलत नाम देंगे और यह सब गलत काम इसलिए यह ताकि भगवान या भगवान के दूरिया भूत मेरे पास आए और मेरा बंद करें या हत्या करें और मैं भगवान या भूत के हाथों से मृत्यु प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करूं मगर क्या हुआ कुछ नहीं कुछ तो तब होता जब कुछ होता जब मैं यही सब बातें किसी को बताता हूं तो मुझे दोस्त मुसलमान की औलाद राक्षस पागल ना जाने किन किन नामों से पढ़ते हैं कोई कहता है कि मुसलमान राक्षसों के वंशज हैं जो कि भगवान राम या अन्य देवताओं को नहीं मानते थे तो उन्हीं में से है सच कहूं तो कोई हकीकत का सामना नहीं करना चाहता है
1 दिन की बात है मैं अपना प्रैक्टिकल ऑफ गोड करके लौट रहा था शमशान से तो मेरे मोहल्ले के एक निवासी ने मेरी मां से शिकायत कर दी यह उस जगह पर जाता है।
👉दूसरा पाठ आगे
🇮🇳Nationalist Govind Verma🇮🇳

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

2.O Dharma

2.0 Thought

2.0 Female